Sunday, 10 March 2019

*बालारिष्ट दोष, पाप कर्तरी दोष,दैन्य दोष और उपाय*

*बालारिष्ट दोष*
जब चंद्रमा लग्न से छठे, आठवें और बारहवें भाव मे, कमज़ोर स्थिति में और क्रुर ग्रहों के प्रभाव मे हो तो बालारिष्ट दोष होता है। चंद्रमा की ये कमज़ोर और पीडित स्थिति बचपन मे आयु के लिए शुभ नही होती है। ऐसे जातक को व उसकी माता को बचपन मे ही बहुत कष्टों से गुज़रना पड़ता है, क्योंकि सौम्य ग्रहों पर अशुभ प्रभाव, शुभता को कम करते है।

*उपाय*

1. दुर्गा माँ की नियमित रुप से आराधना करें, जिससे जातक के ज़ीवन मे आए दुर्भाग्य के क्षण टल सके।

2. महामृत्युंज़य का पाठ और रुद्राभिषेक करे।

*पाप कर्तरी दोष*

जब लग्न या किसी शुभ ग्रह के दोनों ओर पाप ग्रह हो तो पाप कर्तरी दोष बनता है, जिससे जातक का ज़ीवन संघर्षमय हो जाता है, जिस तरह से गर्दन पर कैंची रख दी जाती है, ये योग उसी तरह काम करता है। जिस भाव मे यह योग बनता है, उसी भाव से जुड़े फलों मे असफलता प्राप्त होती है। जातक खुद को किसी बंधन मे कैद समझता है और चाह कर भी बाहर निकलने मे ड़रता है। कभी खुद को भी नुकसान पहुँचाने की कोशिश करते है, अपनी ज़िंदगी को ही दोष देते है।

*उपाय*

1. पालतु जानवर को घर मे रखे और नियमित रुप से देखभाल करें।

2. हनुमान जी की नियमित रुप से आराधना करें।

3. सुर्य गायत्री मंत्र का जाप करे।

*दैन्य दोष*

शुभ भावों के स्वामी(1, 4, 5, 9, 10) अशुभ भावों के स्वामियों(3, 6, 8, 12) के साथ राशि परिवर्तन करें तो यह दैन्य योग होता है। ऐसे मे सभी कुछ होते हुए भी उसका शुभ फल प्राप्त नही हो पाता है। जातक के ज़ीवन मे संघर्ष और असफलता रहती है।

*उपाय*

1. महामृत्युंज़य मंत्रों का सवा लाख जाप करें।

2. धार्मिक स्थानों की सफाई करे और अपना योगदान दे।

3. ज़रुरतमंद व दिव्यांग की सेवा करें।

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